ग्राहक देखभाल एवं ग्राहक संतुष्टि एवं सौजन्यता
ग्राहक देखभाल एवं ग्राहक संतुष्टि -
यात्री , प्रेषक तथा प्रेषती रेलवे के ग्राहक है. इनसे रेलवे को आमदनी होती है. यात्री आशा करते है कि उन्हें टिकट जल्दी मिले, निश्चित आरक्षण मिले, किराये में रियायत मिले और किराया वापसी में कठिनाई ना हो. इसके आलवा कैटरिंग व्यवस्था, यात्रीई सुविधाए एवं शिकायत का निवारण जल्दी हो. इसी प्रकार प्रेषक और प्रेषती यह चाहते है कि उनके माल कि बुकिंग और सुपुर्दगी में कोई असुविधा ना हो. अत: रेलवे को उनका ध्यान रखना होगा और यह देखना होगा कि वह उनके लिये क्या कर सकती है कि ग्राहकों को संतुष्टि प्रदान की जा सके.
ग्राहक संतुष्टि मुख्य रूप से दो प्रकार से हो सकती है.
1. भौतिक संतुष्टि .
2. मानसिक संतुष्टि .
भारतीय रेल एक वाणिज्य संस्था है.किसी भी वाणिज्य संस्था का यह उद्देश्य या सिध्दांत होना चाहिये कि प्रत्येक ग्राहक को भौतिक और मानसिक रूप से संतुष्टि मिल सके. भारतीय रेल का कर्तव्य है.पहले सेवा करना है और बाद में लाभ कमाना है. कोई भी संगठन किस प्रकार का है यह उसके कार्य से पता चलता है. सेवा का स्तर जितना उंचा होगा, ग्राहक उतना ही अधिक संतुष्ट हो सकता है. किसी भी व्यापार की उन्नति के लिये केवल लाभ कमाना पर्याप्त नही है, परन्तु यह भी देखना चाहिये की सेवा भी उत्तम प्रकार की हो जिससे ग्राहक को भौतिक और मानसिक संतुष्टि मिल सके.
यदि अपनी सेवाओ से ग्राहक को हम पूरी तरह से संतुष्ट नही कर सकते तो रेलवे की छवि दिन - प्रतिदिन गिरती चली जायेगी. इसलिए ग्राहक को संतुष्ट करना हमारे कार्य का प्रमुख अंग है. ग्राहक की संतुष्टि के लिए जन सम्पर्क के सिध्दांतो का पालन करना चाहिये. यात्री, लगेज, पार्सल और माल यातायात को शीघ्रता से और सुरक्षित रूप से गंतव्य स्टेशन तक पहुँचाना चाहिये.
ग्राहक संतुष्टि के लिए रेल प्रशासन व्दारा निम्नलिखित कदम उठाये गये है.
1. सुपरफास्ट गाड़ियाँ चलाई गई है.
2. साप्ताहिक गाड़ियो को रोजाना किया गया है.
3. कम्प्यूटर पध्दति से टिकट जारी किया जाता है.
4. खान - पान की सुविधा.
5. दावे को शीघ्र निपटाने की व्यवस्था.
6. जन शिकायतों को शीघ्र निपटाने की व्यवस्था.
7. वाणिज्य कर्मचारियों को ग्राहक देखभाल का प्रशिक्षण.
सौजन्यता -
सौजन्यता का अर्थ है विनम्रता, शिष्टाचार एवं सहायतापूर्ण व्यवहार. शिष्टाचार शिष्ट जनों के आचरण को कहा जाता है. इस प्रकार सौजन्यता भले लोगो का आपसी व्यवहार है. सौजन्यता यह गुण मनुष्य में बचपन से ही होता है, अन्यथा वह अपने दोषपूर्ण व्यवहार से स्वयं को कष्टवादी सिध्द करता है और साथ में अपने परिवार का नाम भी बदनाम करता है. यदि रेल कर्मचारी दोषपूर्ण व्यवहार करता है तो वह केवल अपना ही नही अपने विभाग का और पूरे रेल का नाम बदनाम करता है.
भारतीय रेलवे भारतीय जनता की सम्पत्ति है. रेलवे को जनता की सेवा के लिये चलाया जाता है भारतीय रेल का पहला उद्देश्य जनता की सेवा करना और बाद में लाभ कमाना है. भारतीय रेल जनता को अपनी सेवाये बेचती है, अर्थात रेल का यातायात जनता के सहयोग पर निर्भर है. जनता का सहयोग प्राप्त करने के लिये सौजन्यतापूर्ण व्यवहार हमारे कार्य का प्रमुख अंग है, इसीलिए रेल - कर्मचारी को सौजन्यतापूर्ण व्यवहार रखना चाहिये.
रेल प्रशासन व्दारा समय - समय पर "रेल कर्मचारी के नियम" प्रकाशित किये जाते है जिससे रेल कर्मचारियो को अवगत कराया जाता है. इसमें से आचरण के कुछ प्रमुख नियम निम्नलिखित है -
1. रेल कर्मचारियों को कार्यालय में सही समय पर उपस्थित होना चाहिये.
2.वर्दी पहनकर आना चाहिये. वर्दी साफ़ - सुथरी होनी चाहिये.
3.वर्दी पर नेम प्लेट और बिल्ला लगाना चाहिये.
4.रेल उपभोक्ता को सही मार्गदर्शन और सही जानकारी मिलनी चाहिये.
5. रेल उपभोक्ताओ की शिकायतों और कठिनाइयों का समाधान करना चाहिये.
6. वरिष्ठ रेल कर्मचारी को, कनिष्ठ रेल कर्मचारी के लिये एक अच्छा उदाहरण बनना चाहिये.
7.रेल उपभोक्ता हमारे कार्य बाधक नही है, परन्तु हमारे कार्य का प्रमुख अंग है प्रत्येक यात्री रेल कर्मचारियों से हर संभव सहायता प्राप्त करने का अधिकारी है. इसीलिये उन्हें सही जानकारी एवं सही मार्गदर्शन देना चाहिये.
8.रेल यात्री हमेशा जल्दी में होते है इसलिये उनकी कठिनाई को ध्यानपूर्वक सुनकर उनका समाधान करना चाहिये.
9.एक मधुर एवं कोमल शब्द सारे क्रोध को दूर कर सकता है, इस वाक्य को सदैव याद रखना चाहिये और उपयोग में लाना चाहिये. भारतीय रेल पर अधिकांश भाग व्दितीय श्रेणी के यात्रियों का होता है, जिन्हें आम तौर पर सभी सुविधाएँ प्रदान नही की जा सकती इसलिये यह वर्ग हमेशा मानसिक रूप से असंतुष्ट रहता है.इसलिये ऐसे यात्रियों से हमेशा सहायतापूर्ण सौजन्यतापूर्ण व्यवहार करना चाहिये.
10. सौजन्यता सार्वजनिक सद्भावना की आधारशिला है. सौजन्य व्यक्ति किसी भी परिस्थिति में सौजन्य ही रहता है. रेल कर्मचारियों को सौजन्यता की अपनी आदत बनाती चाहिये. रेल यात्री जिस वक्त रेल सीमा में प्रवेश करता है और जब तक रेल सीमा से बाहर नही हो जाता तब तक वह रेल प्रशासन का मेहमान है. रेल प्रशासन व्दारा दी गई सभी सेवाएँ और सुविधाएँ उसे प्रदान की जानी चाहिये.
सौजन्यतापूर्ण व्यवहार से रेल कर्मचारी अपना नाम उंचा कर सकते है. अपने क्षेत्रीय रेक के साथ - साथ भारतीय रेल का नाम भी ऊँचा कर सकते है. भारतीय रेल पर प्रतिवर्ष 10 अप्रैल से 16 अप्रैल तक सौज्यता सप्ताह मनाया जाता है.
hi
ReplyDeleteagar aap oyo room ke baare me puri jankari janna chahte hai to yah post apke liye bhut acha hai oyo ka mtlb kya hota hai
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